मूर्ति प्रवेश, तीर्थ पूजन... प्राण प्रतिष्ठा से पहले अयोध्या में कल से शुरू हो रहा 7 दिन का अनुष्ठान
रामजन्म भूमि ट्रस्ट की ओर से इन सातों दिनों की पूरी कार्यक्रम शृंखला सामने रखी गई है. 16 जनवरी को प्रायश्चित और कर्मकुटी पूजन के साथ आयोजन की शुरुआत होगी. इसके बाद 17 जनवरी को मूर्ति को मंदिर में प्रवेश कराया जाएगा. इसके बाद हर दिन एक अधिवासिक अनुष्ठान होगा.
तैयारी पूरी हो चुकी है। मंदिर का प्रांगण सज चुका है, परिसर तैयार है, और गर्भगृह प्रतीक्षा में है, जबकि 140 करोड़ भारतीय इस समय अयोध्या की ओर देख रहे हैं। राहों में श्रद्धालुओं ने पलक-पांवड़े बिछाए हैं, बस उस पल का इंतजार करते हैं, जब श्रीराम विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा होगी और फिर रामलला के महात्मय से भरपूर दर्शन होंगे। घड़ी नजदीक आ रही है, महज सात दिन ही बाकी हैं।
प्राण प्रतिष्ठा का समय 22 जनवरी 2024 को निर्धारित किया गया है, और इससे पहले, 16 जनवरी से ही इसके निमित्त समारोह आरंभ हो रहे हैं। मंगलवार से लेकर 22 जनवरी सोमवार तक, प्रतिदिन विशेष अनुष्ठान होंगे, जिसका पूरा विवरण सामने आया है। अब लोगों का इंतजार खत्म होने वाला है, और रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की विधि शुरू हो रही है।
रामजन्म भूमि ट्रस्ट द्वारा इन सातों दिनों का पूरा कार्यक्रम स्थिति में है। 16 जनवरी को, प्रायश्चित और कर्मकुटी पूजन के साथ आयोजन का आरंभ होगा। इसके पश्चात्, 17 जनवरी को मूर्ति को मंदिर में प्रवेश कराया जाएगा। उसके बाद, प्रतिदिन एक अधिवासिक अनुष्ठान होगा, जिसमें जल, औषधि, गंध, घी, धान्य, शक्कर, पुष्प आदि शामिल होंगे। सभी अधिवासों के समापन के बाद, 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा का आयोजन किया जाएगा। भगवान श्रीराम लला की मूर्ति की शुभ प्राण प्रतिष्ठा, पौष मास के शुक्ल पक्ष की कूर्म द्वादशी की तिथि को, 22 जनवरी 2024 को होगी। प्राण प्रतिष्ठा अभिजीत मुहूर्त में की जाएगी।
1. आयोजन तिथि और स्थान:
भगवान श्री राम लला की विग्रह की शुभ प्राण प्रतिष्ठा योग में पौष शुक्ल कूर्म द्वादशी, विक्रम संवत 2080, यानी सोमवार, 22 जनवरी 2024 को होगी।
2. शास्त्रोक्त प्रोटोकॉल और पूर्व समारोह अनुष्ठान:
सभी शास्त्रीय प्रोटोकॉल का पालन करते हुए प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम दोपहर में अभिजीत मुहूर्त में आयोजित किया जाएगा। प्राण प्रतिष्ठा की औपचारिक प्रक्रियाएं 16 जनवरी से शुरू होंगी और 21 जनवरी 2024 तक चलेंगी। द्वादश अधिवास प्रोटोकॉल इस प्रकार होंगे:
A- 16 जनवरी: प्रायश्चित और कर्मकुटी पूजन
B- 17 जनवरी: मूर्ति का परिसर प्रवेश
C- 18 जनवरी (शाम): तीर्थ पूजन, जल यात्रा, और गंधाधिवास
D- 19 जनवरी (सुबह): औषधिधिवास, केसराधिवास, घृतधिवास
E- 19 जनवरी (शाम): धान्यधिवास
F- 20 जनवरी (सुबह): शर्कराधिवास, फलाधिवास
G- 20 जनवरी (शाम): पुष्पाधिवास
H- 21 जनवरी (सुबह): मध्याधिवास
I- 21 जनवरी (शाम): शैयाधिवास
3. अधिवास प्रोटोकॉल और आचार्य:
प्राण प्रतिष्ठा समारोह में सात अधिवास होंगे, और न्यूनतम तीन अधिवास व्यवहार में होंगे। अनुष्ठान का संचालन 121 आचार्य करेंगे। श्री गणेश्वर शास्त्री द्रविड़जी अनुष्ठान की सभी कार्यवाही को देखेंगे, समन्वय करेंगे, संचालन करेंगे, और प्रमुख आचार्य काशी के श्रीलक्ष्मीकांत दीक्षित होंगे।
4. विशिष्ट अतिथि:
प्राण प्रतिष्ठा में भारत के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत, उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, और अन्य गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति में होगी।
5. विविध प्रतिनिधित्व:
भारतीय अध्यात्मवाद के सभी विद्यालयों के आचार्य, धर्म, संप्रदाय, पूजा पद्धति, परंपरा, 150 से अधिक परंपराओं के संत, महामंडलेश्वर, मंडलेश्वर, श्रीमहंत, महंत, नागा, साथ ही 50 से अधिक आदिवासियों के प्रमुख व्यक्ति, गिरिवासी, तत्ववासी, द्वीपवासी आदिवासी परंपराओं के लोग भव्य श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के परिसर में प्राण प्रतिष्ठा समारोह को देखने के लिए मौजूद रहेंगे।
6. ऐतिहासिक जनजातीय प्रतिनिधित्व:
पहाड़ियों, जंगलों, तटीय बेल्ट, द्वीपों आदि के लोगों द्वारा प्रतिनिधित्व की जाने वाली जनजातीय परंपराओं की उपस्थिति, भारत के हाल के इतिहास में पहली बार हो रही है। यह अपने आप में अनोखा होगा।
7. समावेशी परंपराएँ:
इन परंपराओं में शैव, वैष्णव, शाक्त, गाणपत्य, पाट्य, सिख, बौद्ध, जैन, दशनाम, शंकर, रामानंद, रामानुज, निम्बार्क, माधव, विष्णु नामी, रामसनेही, घीसापंथ, गरीबदासी, गौड़ीय, कबीरपंथी, वाल्मिकी शामिल हैं। इसके अलावा शंकरदेव (असम), माधव देव, इस्कॉन, रामकृष्ण मिशन, चिन्मय मिशन, भारत सेवाश्रम संघ, गायत्री परिवार, अनुकूल चंद्र, ठाकुर परंपरा, ओडिशा के महिमा समाज, अकाली, निरंकारी, पंजाब के नामधारी, राधास्वामी, और स्वामीनारायण, वारकरी, वीर शैव भी शामिल हैं।
8. दर्शन एवं उत्सव:
गर्भगृह में प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम संपन्न होने के बाद सभी साक्षियों को क्रमश: दर्शन होंगे। श्रीरामलला की प्राण प्रतिष्ठा का उत्साह हर तरफ दिखाई दे रहा है। इसे अयोध्या सहित पूरे भारतवर्ष में बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाने का संकल्प किया गया है। समारोह की तैयारी के दौरान, विभिन्न राज्यों से लोग लगातार पानी, मिट्टी, सोना, चांदी, रत्न, कपड़े, आभूषण, विशाल घंटियाँ, ड्रम, सुगंध/सुगंधित वस्तुएं आदि लेकर आ रहे हैं। उनमें सबसे उल्लेखनीय थे माँ जानकी के मायके द्वारा भेजे गए भार (एक बेटी के घर स्थापना के समय भेजे जाने वाले उपहार) जो जनकपुर (नेपाल) और सीतामढ़ी (बिहार) के ननिहाल से अयोध्या लाए गए। रायपुर, दंडकारण्य क्षेत्र स्थित प्रभु के ननिहाल से भी विभिन्न प्रकार के आभूषण आदि उपहार प्राप्त किए जा रहे हैं।