NLC India और Coal India को कभी भी प्राइवेट नहीं किया जाएगा, सरकार ने इसे स्पष्ट कर दिया है, लेकिन एक समस्या है जिस पर ध्यान दिया जा रहा है
सरकार ने स्पष्ट किया है कि कोयला और खनन मंत्री प्रह्लाद जोशी ने यह तय किया है कि सभी पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग्स (PSUs), जो की कोल मिनिस्ट्री के अधीन हैं, कभी भी निजी कंपनियों के हाथों में नहीं जाएंगी। उन्होंने यह भी कहा है कि सरकार का संकल्प है कि आने वाली सभी सरकारी कंपनियों पर अपना स्वामित्व सुरक्षित रखा जाएगा।सरकार की एनएलसी इंडिया में 79.2 फीसदी हिस्सेदारी है। यह पब्लिक सेक्टर में सरकार की सबसे अधिक हिस्सेदारी वाली कंपनियों में शुमार है।
सरकार ने स्पष्ट किया है कि कोयला और खनन मंत्रालय के अंतर्गत सभी सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम (PSUs) किसी भी समय निजी कंपनियों के हाथों में नहीं जाएंगी। मंत्री प्रह्लाद जोशी ने मनीकंट्रोल के साथ बातचीत में यह कहा कि सरकार का उद्देश्य कोल मंत्रालय के तहत सभी सरकारी कंपनियों पर अपना स्वामित्व सुरक्षित रखना है। इस बयान को उन्होंने उस समय में दिया है जब इस पर चर्चा हो रही है कि केंद्रीय वित्त मंत्रालय कोल मंत्रालय के तहत NLC इंडिया (पूर्व में Neyveli Lignite Corporation) समेत कुछ सरकारी कंपनियों की 10 फीसदी तक हिस्सेदारी बेच सकता है। हालांकि, कोयला मंत्री ने अब स्पष्ट कर दिया है कि कोल मंत्रालय के तहत आने वाली NLC इंडिया और कोल इंडिया हमेशा भारत सरकार की रहेगी।
NLC India में सरकार की मजबूत हिस्सेदारी है।
सरकार ने कहा है कि एनएलसी इंडिया में 79.2 फीसदी हिस्सेदारी है। पिछले साल, 13 जुलाई 2023 को एक इंटरव्यू में कंपनी के चेयरमैन और एमडी प्रसन्ना कुमार मोतुपल्ली ने कहा था कि यह पब्लिक सेक्टर की सबसे अधिक हिस्सेदारी वाली कंपनियों में गिनी जाती है। प्रसन्ना ने उस समय बताया कि सरकार अब विनिवेश पर ध्यान दे रही है और इसमें सरकारी हिस्सेदारी बेचने की कोई योजना नहीं है।
अब कोल मंत्री ने यह कहा है कि कोल मंत्रालय के तहत आने वाली किसी भी कंपनी पर सरकार का स्वामित्व हक नहीं होगा। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा है कि ऑफर फॉर सेल (OFS) के तहत सरकार अपनी 10 फीसदी हिस्सेदारी बेचने का निर्णय वित्त मंत्रालय लेगा। एनएलसी इंडिया, जो घरेलू बाजार में सूचीबद्ध है, कोल और लिग्नाइट निकालने में शामिल है, और इसकी मार्केट कैप लगभग 32,585 करोड़ रुपये है।
सरकार की विनिवेश योजना क्या है?
5 जनवरी 2024 की रिपोर्ट के अनुसार, वित्त मंत्री एनएलसी इंडिया, मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स, और इंडियन रेलवे फाइनेंस कॉरपोरेशन (IRFC) में ऑफर फॉर सेल (OFS) के माध्यम से 10-10 फीसदी तक हिस्सेदारी बेच सकती है। इस क्रिया को वित्त वर्ष 2024 के मार्च के पहले 31 तक पूरा किया जा सकता है। इस वित्त वर्ष का लक्ष्य 51 हजार करोड़ रुपये के निवेश का है, जिसमें सरकार ने अब तक 10,051.73 करोड़ रुपये जुटा लिए हैं। इन तीनों कंपनियों में यदि सरकार 10-10 फीसदी हिस्सेदारी बेचती है, तो उनके शेयरों की मौजूदा मूल्य के हिसाब से सरकार को लगभग 21,200 करोड़ रुपये मिल सकते हैं।